मन का गुलाम
यह मानसिकग़ुलामी है जो हमें अंदर से ही जकड़ लेता है। हम खुद को बंधा हुआरखते हैं जैसे कि एक पक्षी एक बाग में बंद चीनी है जो हरतरफ देखकर ख
यह मानसिकग़ुलामी है जो हमें अंदर से ही जकड़ लेता है। हम खुद को बंधा हुआरखते हैं जैसे कि एक पक्षी एक बाग में बंद चीनी है जो हरतरफ देखकर ख